Ganesh Chaturthi 2024: तिथियां, भगवान गणेश को घर लाने के लिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि गणेश चतुर्थी, एक ऐसा त्यौहार है जो बुद्धि, समृद्धि और नई शुरुआत के देवता भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाता है, यह भारत में सबसे प्रतीक्षित त्यौहारों में से एक है. यह त्यौहार घरों और सार्वजनिक स्थानों पर गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करके, अनुष्ठान और प्रार्थना करके मनाया जाता है. जैसे-जैसे हम गणेश चतुर्थी 2024 के करीब पहुँच रहे हैं, भगवान गणेश को घर लाने के लिए महत्वपूर्ण तिथियाँ, शुभ मुहूर्त और एक धन्य और समृद्ध त्यौहार सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत पूजा विधि जानना महत्वपूर्ण है.
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गणेश चतुर्थी 2024: प्रमुख तिथियां
वर्ष 2024 में गणेश चतुर्थी शनिवार, 7 सितंबर 2024 को बड़े उत्साह के साथ मनाई जाएगी. यह उत्सव पारंपरिक रूप से 10 दिनों तक चलता है, जिसका समापन गुरुवार, 19 सितंबर 2024 को गणेश प्रतिमा के विसर्जन के साथ होगा. गणेश चतुर्थी से पहले के दिन भगवान गणेश के भव्य आगमन की तैयारी में व्यतीत होते हैं, जबकि उनकी स्थापना के बाद के दिन दैनिक प्रार्थना, प्रसाद और उत्सव से भरे होते हैं.
भगवान गणेश को घर लाने का शुभ मुहूर्त
भगवान गणेश को घर लाने के लिए सही समय या शुभ मुहूर्त चुनना एक समृद्ध और बाधा मुक्त जीवन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक माना जाता है. शुभ मुहूर्त की गणना ज्योतिषीय चार्ट के आधार पर की जाती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि मूर्ति की स्थापना के लिए ऊर्जा अनुकूल है.
गणेश चतुर्थी 2024 के लिए भगवान गणेश को घर लाने के शुभ समय इस प्रकार हैं:
- सुबह का मुहूर्त: सुबह 8:00 बजे से 10:00 बजे तक
- दोपहर का मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक
- शाम का मुहूर्त: शाम 4:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
ऐसा माना जाता है कि ये समय अनुकूल ग्रहों की स्थिति के साथ संरेखित होते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भगवान गणेश को घर लाने का कार्य घर में आशीर्वाद, समृद्धि और खुशी को आमंत्रित करता है.
पूजा विधि: चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका
गणेश चतुर्थी पूजा विधि में कई अनुष्ठान शामिल हैं जिन्हें भक्ति और सटीकता के साथ किया जाता है. यहाँ गणेश स्थापना (स्थापना) और उसके बाद की दैनिक पूजा करने के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका दी गई है:
गणेश स्थापना की तैयारी
जगह साफ करें: गणेश जी की मूर्ति घर लाने से पहले, उस जगह को अच्छी तरह साफ कर लें जहाँ मूर्ति स्थापित की जाएगी. इससे वातावरण शुद्ध होता है और उसे दिव्य उपस्थिति के लिए तैयार करने में मदद मिलती है.
वेदी स्थापित करना: एक ऊंचे मंच पर एक छोटी वेदी या मंडप स्थापित करें. इसे ताजे फूलों, मालाओं और रंगोली से सजाएँ, सुनिश्चित करें कि वेदी का मुख पूर्व या उत्तर दिशा में हो, जिन्हें शुभ दिशा माना जाता है.
गणेश स्थापना (मूर्ति स्थापना)
मूर्ति स्थापना: गणेश जी की मूर्ति को ध्यानपूर्वक और भक्तिपूर्वक वेदी पर स्थापित करें। ध्यान रखें कि मूर्ति स्थिर और सुरक्षित स्थान पर रखी गई हो.
प्राण प्रतिष्ठा: यह स्थापना प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. दीपक और अगरबत्ती जलाएं और प्राण प्रतिष्ठा मंत्र का जाप करें, मूर्ति में भगवान गणेश की दिव्य उपस्थिति का आह्वान करें, यह अनुष्ठान मूर्ति को देवता की जीवित इकाई बनने का प्रतीक है.
दैनिक पूजा
षोडशोपचार पूजा: इसमें भगवान गणेश को 16 अलग-अलग चीजें अर्पित की जाती हैं, जिसमें जल (पैर धोने और पीने के लिए), हल्दी, चंदन का लेप, फूल, धूप और एक जला हुआ दीया (दीपक) शामिल है। ये चढ़ावा मंत्रों के जाप और प्रार्थना के साथ चढ़ाया जाता है.
नैवेद्य (भोजन प्रसाद): मोदक, लड्डू और अन्य मिठाइयाँ तैयार करें और भगवान गणेश को अर्पित करें जो उन्हें बहुत प्रिय हैं, सुनिश्चित करें कि प्रसाद ताज़ा हो और भक्ति के साथ बनाया गया हो.
आरती: भगवान गणेश की स्तुति में भक्ति गीत गाकर और आरती की थाली को गोलाकार में घुमाकर आरती के साथ दैनिक पूजा का समापन करें, ऐसा सुबह और शाम को करें.
गणेश विसर्जन
अंतिम आरती: उत्सव के अंतिम दिन, अंतिम आरती करें और भगवान गणेश को अंतिम प्रार्थना और प्रसाद अर्पित करें.
विसर्जन प्रक्रिया: गणेश प्रतिमा को जल निकाय में विसर्जित किया जाता है, जो उनके दिव्य निवास पर लौटने का प्रतीक है, यह अक्सर बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ किया जाता है, और “गणपति बप्पा मोरया” के नारे हवा में गूंजते हैं.
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